किसी कवि की कविता को पढ़कर तृप्त होना कविता है ,..कविता न लिख पाऊं पर कलम लेकर बैठ जाऊं ,और कोरे पृष्ट को देखता रहूँ ,.यह भी एक कविता है /.कविता शब्दों में ,कवि में या किताबो में ...बंद नही है ,कविता तो सम्पूर्णत:... आदमी के भीतर है ,समय से उसका अनुबंध है ,आखरी कविता का सबको इंतजार है .{*कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र,,रायपुर,छत्तीसगढ़ }