tag:blogger.com,1999:blog-33124773195525021432024-03-08T00:02:11.051-08:00तात्पर्य किसी कवि की कविता को पढ़कर तृप्त होना कविता है ,..कविता न लिख पाऊं पर कलम लेकर बैठ जाऊं ,और कोरे पृष्ट को देखता रहूँ ,.यह भी एक कविता है /.कविता शब्दों में ,कवि में या किताबो में ...बंद नही है ,कविता तो सम्पूर्णत:... आदमी के भीतर है ,समय से उसका अनुबंध है ,आखरी कविता का सबको इंतजार है .{*कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र,,रायपुर,छत्तीसगढ़ }
खोरेन्द्र http://www.blogger.com/profile/16964838805138081044noreply@blogger.comBlogger0125